लेखनी कहानी -07-Nov-2022 हमारी शुभकामनाएं (भाग -3)
हमारी शुभकामनाएं:-
भाग 3:- गणेश चतुर्थी:-
वैसे तो गणेश चतुर्थी का पर्व महाराष्ट्र में बहुत धूम- धाम से मनाया जाता है। परंतु, आजकल इसे भारत के अन्य राज्यों में भी मनाया जाने लगा है। इस दिन गणेशजी की मिट्टी की प्रतिमा घर पर लाई जाती है और उसे पूजा घर में स्थापित कर उसकी 11 दिवस तक पूजा- अर्चना की जाती है। अतः अनन्त चतुर्दशी के दिन इस प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन 11 दिनों तक गणेशजी स्वयं धरती पर मेहमान के रूप में विराजमान होते हैं और अपने आशीर्वाद से सभी को अनुग्रहित करते हैं। चूंकि गणेशजी को मोदक और लड्डू बेहद प्रिय हैं। इसीलिए उन्हें उनका भोग लगाकर, सभी में प्रसाद वितरित किया जाता है। यह भी माना जाता है की इस प्रकार इन 11 दिनों तक भगवान गणेश की पूजा करने से वे हमें धन- धान्य से परिपूर्ण करते हैं एवम हमारी अन्य सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं।
आज भूमिका सुबह उठी ऐसे ही \\'फेस बुक\\' खोल कर उसमें गणेशजी की तरह- तरह की सुंदर मूर्तियां देख रही थी कि अचानक उसकी नज़र एक वीडियो पर पड़ी। वह \\'वीडियो\\' गणेशजी की प्रतिमा बनाने हेतु विधि से परिपूर्ण थी। पता नहीं उसके मन में अचानक क्या सूझा। वह उठी और दौड़ती हुई मां के पास पहुंची। अतः मां से काली मिट्टी के विषय में पूछने लगी। उसे वह गणेशजी की प्रतिमा बनाने वाली \\'वीडियो\\' बहुत भा गई थी। उसने मन ही मन विचार किया कि वह भी इस प्रकार से गणेशजी की प्रतिमा बनाएगी और अपने घर के मंदिर में स्थापित कर उनका पूजन करेगी।
मां ने उसे बगीचे में डालने हेतु बची हुई काली मिट्टी में से कुछ भाग लाकर दिया। भूमिका ने प्रतिमा बनाना आरंभ किया। पहले उसने गणेशजी का धड़ बनाया। उसके बाद हाथ फिर पैर और अंत में जब सर बनाने लगी तो वह जोड़ने पर बार- बार गिरने लगा। भूमिका दो घंटे तक प्रयत्न करती रही। उसने भी ठान लिया था कि आज तो प्रतिमा बनाकर ही रहेगी। परंतु, चूंकि वह पहली बार मिट्टी से कोई प्रतिमा बना रही थी, तो उसे समझ नहीं आ रहा था कि किस प्रकार से पूरी प्रतिमा को संगठित करे।
मां बहुत देर से उसे प्रयत्न करते हुए देख रही थीं। अब उनसे रहा नहीं गया । अतः उन्होंने उससे सर और धड़ के मध्य एक माचिस की सीख डालने को कहा ताकि सर और धड़ एक- दूसरे से आसानी से जुड़ जाएं। भूमिका को बात पसंद आ गई। उसने तुरंत मां की बताई बात के अनुसार कार्य किया और अंततः गणेशजी की एक सुंदर- सी प्रतिमा बनकर तैयार हो गई। अब बात आई उस प्रतिमा को रंगने की। भूमिका ने यह सोच रखा था कि प्रतिमा \\'ईको फ्रेंडली\\' तरीके से बनानी है। अतः उसने अपने भाई से बाज़ार से \\'वॉटर कलर\\' लाने को कहा।
भाई बाज़ार उसके लिए रंग लाने गया। परंतु उसे खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ा, क्योंकि उस दिन बाजार में सब दुकानें बंद थीं। परंतु, भूमिका ने हिम्मत नहीं हारी। वह होली के रंग और रसोई घर से हल्दी, पूजा घर से कुमकुम रोली और अपनी अलमारी में से \\'स्केच कलर\\' और \\'ग्लिटर पेंस\\' ले आई। अतः इन सभी का प्रयोग कर उसने गणेशजी की प्रतिमा को रंग डाला।
अंत में एक प्यारी- सी, सुंदर- सी प्रतिमा बनकर तैयार हो गई। अब तक भूमिका थककर चूर हो चुकी थी। अतः वह थोड़ी देर आराम करने चली गई। कुछ समय पश्चात् जब उसने देखा तो से मूर्ति पर लगे रंग सूख चुके थे। वह खुशी- खुशी मां- पिताजी को मूर्ति दिखाने लगी। सभी ने उसके द्वारा बनाई गई मूर्ति की खूब प्रशंसा की।
सांय काल में उसने प्रतिमा स्थापित की एवम उसके पास रखे हुए नन्हें- नन्हें खिलौने उनके पास सजाकर उनकी झांकी सजाई। एवम उनको भोग लगाकर उनकी पूजा अर्चना एवम आरती की। सभी को आरती देकर उसने प्रसाद वितरण किया और भगवान गणेशजी से दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना की।
30 days फेस्टिवल / रिचुअल कम्पटीशन
Palak chopra
09-Nov-2022 04:03 PM
Shandar 🌸🙏
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Swati Sharma
10-Nov-2022 08:53 PM
Thank you 🙏🏻😇
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Mithi . S
09-Nov-2022 11:21 AM
Shandar
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Swati Sharma
09-Nov-2022 12:12 PM
शुक्रिया
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Khan
08-Nov-2022 11:35 PM
Bahut khoob 😊🌸
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Swati Sharma
08-Nov-2022 11:52 PM
Thank you 🙏🏻😊
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